CBSE Class 9th Hindi-Course A Syllabus 2019-20
भाध्ममभक स्तय तक आते-आते विद्माथी ककशोय होचकाु होता हैऔय उसभेंसनने,ु फोरने, ऩढ़ने, मरखने के साथ-साथ आरोचनात्भक दृष्टि विकमसत होने रगती है। बाषा के सौंदमाात्भक ऩऺ, कथात्भकता/गीतात्भकता, अखफायी सभझ, शब्द शष्ततमों की सभझ, याजनैततक एिॊ साभाष्जक चेतना का विकास, स्िमॊकी अष्स्भता का सॊदबा औय आिश्मकताके अनसायु उऩमततु बाषा- प्रमोग, शब्दों का
सचचॊतततु प्रमोग, बाषा की तनमभफद्ध प्रकृतत आदद सेविद्माथी ऩरयचचत हो जाता है। इतना ही नहीॊिह विविध विधाओॊ औय अमबव्मष्तत की अनेक शैमरमों सेऩरयचचतबी हो चकाु होता है। अफ विद्माथी की दृष्टि आस-ऩडोस, याज्म-देश की सीभा को राॊघतेहुए िैष्श्िक क्षऺततज तक पै र जाती है। इन फच्चों की दतनमाु भेंसभाचाय, खेर, कपल्भ तथा अन्म कराओॊ के -साथ ऩत्र-ऩत्रत्रकाएॉ औय अरग-अरग तयह की ककताफेंबी प्रिेश ऩा चकीु होती हैं। इस स्तय ऩय भातबाषाृ दहॊदी का अध्ममन सादहष्त्मक, साॊस्कृततक औय व्मािहारयक बाषा के ूऩ भेंकुछ
इस तयह सेहो कक उच्चतय भाध्ममभक स्तय ऩय ऩहुॉचते-ऩहुॉचतेमह विद्माचथामों की ऩहचान, आत्भविश्िास औय विभशा की बाषा फनसके। प्रमास मह बी होगा कक विद्माथी बाषा के मरखखत प्रमोग के साथ-साथ सहज औय स्िाबाविक भौखखक अमबव्मष्तत भें बी सऺभ हो सके ।
इस ऩाठ्यक्रम के अध्ययन से-
(क)विद्माथी अगरेस्तयों ऩय अऩनी ूचच औय आिश्मकता के अनूऩु दहॊदी की ऩढ़ाई कय सकेंगे तथा दहॊदीभेंफोरने औयमरखने भें सऺभसकेंहो गे।
(ख)अऩनी बाषा दऺता के चरते उच्चतय भाध्ममभक स्तय ऩय विऻान, सभाज विऻान औय अन्म ऩाठ्मक्रभों के साथ सहजसॊफद्धता(अॊतसंफॊध) स्थावऩत कय सकें गे।
(ग)दैतनक जीिन व्मिहाय के विविध ऺेत्रों भें दहन्दी के औऩचारयक/अनौऩचारयक उऩमोग की दऺता हामसर कय सकें गे।
(घ) बाषा प्रमोग के ऩयॊऩयागत तौय-तयीकों एिॊ विधाओॊ की जानकायी एिॊ उनके सभसाभतमक सॊदबों की सभझ विकमसत कय सकें गे।
(ड.) दहॊदीबाषा भें दऺताका इस्तेभार िे अन्म बाषा-सॊयचनाओॊ की सभझ विकमसत कयने के मरए कय सकें।गे
कऺा 9व िंव 10व िंमेंमातभाषाृ के रूऩ मेंहहिंदी-शिऺण के उद्देश्य :
∙कऺा आठिीॊतक अष्जात बावषककौशरों (सनना,ु फोरना, ऩढ़ना औय मरखना) का उत्तयोत्तय विकास।
∙ सजनात्भकृ सादहत्म के आरोचनात्भक आस्िाद की ऺभता का विकास।
∙स्ितॊत्र औय भौखखक ूऩ से अऩने विचायों की अमबव्मष्तत का विकास।
∙ ऻान के विमबन्न अनशासनोंु के विभशाकी बाषा के ूऩ भेंदहॊदी की विमशटि प्रकृतत एिॊऺभता का फोध कयाना।
∙सादहत्म की प्रबािकायी ऺभता का उऩमोग कयतेहुए सबी प्रकाय की विविधताओॊ (याटरीमता, धभा, मरॊगएिॊबाषा) के प्रतत सकायात्भक औय सॊिेदनशीर यिैमे का विकास।
∙जातत, धभा, मरॊग, याटरीमता, ऺेत्र आदद सेफॊचधतसॊ ऩिााग्रहोंू के चरतेफनी ूदढ़मों की बावषक अमबव्मष्ततमों के प्रतत सजगता।
∙बायतीम बाषाओॊएिॊ विदेशी बाषाओॊ सॊस्ककीृततक विविधता से ऩरयचम।
∙व्मािहारयक औय दैतनक जीिन भें विविधअमबव्मष्ततमों की भौखखक ि मरखखत ऺभता का विकास।
∙सॊचाय भाध्मभों (वप्रॊि औयइरेतरॉतनक) भेंप्रमततु दहॊदी की प्रकृतत सेअिगत कयाना औय निीन बाषा प्रमोग कयने कीऺभता सेऩरयचम।
∙विश्रेषणऔय तका ऺभता का विकास।
∙बािमबव्मष्तत ऺभताओॊ का उत्तयोत्तय विकास।
∙भतबेद, वियोध औय िकयाि कीऩरयष्स्थततमों भेंबी बाषा को सॊिेदनशीर औय तकाऩणाू इस्तेभार सेशाॊततऩणाू सॊिाद की ऺभता का विकास।
∙बाषा की सभािेशी औय फहुबावषक प्रकृतत की सभझ का विकास कयना।
शिऺण यक्ततयााँु
भाध्ममभक कऺाओॊभेंअध्माऩक की बमभकाू उचचत िाताियण के तनभााण भेंसहामक होनी चादहए। बाषा औय सादहत्म की ऩढ़ाई भें इस फात ऩय ध्मान देने की जूयत होगी- कक
∙विद्माथी द्िाया की जा यही गरततमों को बाषा के विकास के अतनिामा चयण के ूऩ भें स्िीकाय ककमा जाना चादहए ष्जससे विद्माथी अफाध ूऩ से त्रफना खझझक के मरखखत औय भौखखक अमबव्मष्तत कयनेभेंउत्साह का अनबिु कयें। विद्माचथामों ऩय शद्चधु का ऐसा दफाि नहीॊ होना चादहए कक िे तनािग्रस्त भाहौर भें ऩड जाएॉ।उन्हेंबाषा के सहज, कायगय औय यचनात्भकूऩों सेइस तयह ऩरयचचत कयाना उचचत हैकक िेस्िमॊसहजूऩ सेबाषा का सजनृ कय सकें।
∙विद्माथी स्ितॊत्र औय अफाध ूऩ से मरखखत औय भौखखक अमबव्मष्तत कये।अचधगभ फाचधत होने ऩय अध्माऩक, अध्माऩन शैरी भें ऩरयितान कयें।
∙ऐसेमशऺण-त्रफॊदओॊु की ऩहचान की जाए ष्जससेकऺा भेंविद्माथी तनयॊतय सकक्रम बागीदायी कयें औय अध्माऩक बी इस प्रककमा भें उनका साथी फने।
∙हय बाषा का अऩना व्माकयण होता है। बाषा की इस प्रकृतत की ऩहचान कयानेभेंऩरयिेशगत औय ऩाठगत सॊदबों का हीप्रमोग कयना चादहए। मह ऩयीू प्रकक्रमा ऐसी होनी चादहए कक विद्माथी स्िमॊ को शोधकताासभझेतथा अध्माऩक इसभेंकेिर तनदेशन कयें।
∙दहॊदी भेंऺेत्रीमप्रमोगों, अन्म बाषाओॊ के प्रमोगों केउदाहयण से मह फात स्ऩटि की जा सकती है कक बाषा अरगाि भें नहीॊ फनती औय उसका ऩरयिेशअतनिामाूऩ सेफहुबावषक होता है।
∙मबन्न ऺभता िारेविद्माचथामोंके मरए उऩमततु मशऺण-साभग्री का इस्तेभार ककमा जाए तथा ककसी बी प्रकाय सेउन्हेंअन्म विद्माचथामों से कभतय मा अरग न सभझा जाए।
∙कऺा भें अध्माऩक को हय प्रकाय की विधताओॊ (मरॊग, जातत, िगा, धभा आदद) के प्रतत सकायात्भक औय सॊिेदनशीर िाताियण तनमभात कयना चादहए।
∙काव्म बाषा के भभा से विद्माथी का ऩरयचम कयाने के जूयीमरए होगा कक ककताफों भें आए
काव्माॊशों कीरमफद्ध प्रस्तततमोंु | के ऑडडमो-िीडडमो कै सेि तैमाय | ककए जाएॉ। अगय आसानी से |
कोई गामक/गातमका मभरे तो कऺा भें भध्मकारीन सादहत्म के | अध्माऩन-मशऺण भें उससे भदद | |
री जानी चादहए। |
∙या.शै.अ. औय प्र.ऩ., (एन.सी.ई.आय.िी.) भानि सॊसाधन विकास भॊत्रारम के विमबन्न सॊगठनों
तथा स्ितॊत्र तनभााताओॊद्िाया उऩरब्ध कयाए गए कामाक्रभ/ ई-साभग्री ित्तचचत्रोंृ औय पीचय कपल्भों
को मशऺण-साभग्री के तौय ऩय इस्तेभार कयने की जूयत है। इनके प्रदशान के क्रभ भें इन ऩ रगाताय फातचीत के जरयए मसनेभा के भाध्मभ से बाषा के प्रमोग कक विमशटिता की ऩहचान कयाई जा सकती है औय दहॊदी की अरग-अरग छिा ददखाई जा सकती है।
∙कऺा भें मसपाऩठ्मऩस्तकु की उऩष्स्थतत से फेहतयहोगा कक मशऺक के हाथ भें -तयह की ऩाठ्मसाभग्री को विद्माथी देखेंऔय कऺा भें अरग-अरग भौकों ऩय मशऺक उनका इस्तेभारकयें।
∙ बाषा रगाताय ग्रहण कयने की कक्रमा भें फनती, इसेहै प्रदमशात कयने का एक तयीकामह बी है
ककमशऺक खदु मह मसखा सकेंकक िेबी शब्दकोश, सादहत्मकोश, सॊदबाग्रॊथ की रगाताय भदद रे
यहेहैं। इससेविद्माचथामोंभें इनकेस्तेभारइ कयने को रेकय तत्ऩयतागी।फढ़ेअनभानु के आधाय ऩय तनकितभ अथातक ऩहुॉचकय सॊतटिु होनेकी जगह िेसिीक अथा की खोज कयनेके मरए
प्रेरयत होंगे। इससे शब्दों की अरग-अरग यॊगत का ऩता चरेगा, िे शब्दों सकेक्ष्भू अॊतय के प्रतत औय सजग हो ऩाएॉगे।
व्याकरण ब दिंु कऺा 9व िं
∙उऩसगा, प्रत्मम
∙सभास
∙अथा की दृष्टि से िातम बेद
∙अरॊकाय :शब्दारॊकाय– अनप्रास,ु मभक एिॊश्रेष; अथाारॊकाय-उऩभा, ूऩक, उत्प्रेऺा, अततशमोष्तत एिॊभानिीकयण।
कऺा 10व िं
∙यचना के आधाय ऩय िातम बेद
∙िाच्म
∙ऩद-ऩरयचम
∙यस : श्गायॊृ , िीय, कुण, हास्म, िात्सल्म, यौद्र
श्रवण व वाचन (मौखिक ोऱना) सिं िंध योग्यताएाँ
श्रवण (सनना)ु कौिऱ
∙िखणात मा ऩदठत साभग्री, िाताा, बाषण, ऩरयचचाा, िातााराऩ, -वििाद, कविता-ऩाठ आदद का
सनकयु अथाग्रहण कयना, भल्माॊकनू कयना औय अमबव्मष्तत के ढॊग को जानना।
∙िततव्म के बाि, विनोद ि उसभें तनदहत सॊदेश, व्मॊग्म आदद को सभझना।
∙िैचारयक भतबेद होनेऩय बी ितता की फात को ध्मानऩिाक,ू धैमाऩिाकू ि मशटिाचायानकुूर प्रकाय
सेसननाु ि ितता के दृष्टिकोण को सभझना।
∙ऻानाजान भनोयॊजन ि प्रेयणा ग्रहण कयनेहेतुसनना।ु
∙िततव्म का आरोचनात्भक विश्रेषणकयना एिॊसनकयु उसका साय ग्रहण कयना।
श्रवण (सनना)ु वाचन ( ोऱना) का ऩरीऺण : कुऱ 5 अिंक2.(5+2.5)
∙ऩयीऺक ककसी प्रासॊचगक विषम ऩय एक अनच्छेदु का स्ऩटि िाचन कयेगा। अनच्छेदु तथ्मात्भक मा
सझािात्भकु हो सकता है। अनच्छेदु रगबग 100-150 शब्दों का होना चादहए।
मा | |||||||||||||||
ऩयीऺक 1-2 | मभनि का श्व्म अॊश | (ऑडडमो ष्तरऩ) | सनिाएगा।ु | अॊश योचक होना | चादहए। कथ्म | ||||||||||
/घिना ऩणाू एिॊस्ऩटि होनी चादहए। िाचक का उच्चायण शद्ध,ु स्ऩटि एिॊवियाभ चचह्नों के | |||||||||||||||
उचचत प्रमोग सदहत होना चादहए। | |||||||||||||||
∙ | ऩयीऺाथी ध्मान ऩिाकू ऩयीऺा/आडडमो | ष्तरऩ | को सननेु के ऩश्चात ऩयीऺक | द्िाया | ऩछेू गए प्रश्नों | ||||||||||
का अऩनी सभझ सेभौखखक उत्तय देंगे। | |||||||||||||||
कौिऱों के मलयािंकनू | का आधार | ||||||||||||||
श्रवण (सनना)ु | वाचन( ोऱना) | ||||||||||||||
1 | विद्माथी भें ऩरयचचतसॊदबोंभेंप्रमततु | शब्दों औय | 1 | विद्माथी के िर अरग-अरग | शब्दों औय | ऩदों | |||||||||
ऩदों को सभझने की साभान्म मोग्मता है। | के प्रमोग की मोग्मता प्रदमशात कयता है। | ||||||||||||||
2 | छोिे ससॊफद्धु | कथनों | को | ऩरयचचत | सॊदबों भे | 2 | ऩरयचचत सॊदबों भेंकेिर | छोिे ससॊफद्धु | |||||||
सभझने की मोग्मता है। | कथनों का सीमभत शद्धताु | से प्रमोग कयता | |||||||||||||
है। | |||||||||||||||
3 | ऩरयचचत मा अऩरयचचत | दोनों | सॊदबों भें | कचथ | 3 | अऩेक्षऺत दीघाबाषण भें जदिर कथनों | |||||||||
सचनाू को स्ऩटि सभझने की मोग्मता है। | प्रमोग की मोग्मता प्रदमशात कयता ।है | ||||||||||||||
4 | दीघा कथनों | की श्खराॊ | को | ऩमााप्त | शद्धता | से | 4 | अऩरयचचत | ष्स्थततमों | भें | विचायों को | ताकक | |||
ृ | ु | ||||||||||||||
सभझता है औय तनटकषा तनकार सकताहै। | ढॊग से | सॊगदठत | कय | धाया प्रिाह | ूऩ | ||||||||||
प्रस्ततु कय सकता है। | |||||||||||||||
5 | जदिर कथनों | के विचाय-त्रफॊदओॊु को सभझने की | 5 | उद्देश्म औय श्ोता | के मरए उऩमततु | शैरी | |||||||||
मोग्मता प्रदमशात कयता है। | को अऩना सकता है। |
हिप्ऩण
∙ | ऩयीऺण सेऩिाऩयीऺाथी को तैमायी के मरए कछ सभम ददमा जाए। | |
ू | ु | |
∙ | विियणात्भक बाषा भें िताभान कार का प्रमोग अऩेक्षऺत है। |
∙तनधाारयत विषम ऩयीऺाथी के अनबिु सॊसाय के हों, जैसे- कोई चिकु ुरा मा हास्म-प्रसॊग सनाना,ु हार भेंऩढ़ी ऩस्तकु मा देखेगए मसनेभा की कहानी सनाना।ु
∙जफ ऩयीऺाथी फोरना प्रायॊबकयेंतो ऩयीऺक कभ से कभ हस्तऺेऩ कयें।
ऩठन कौिऱ
∙ सयसयी दृष्टि से ऩढ़कय ऩाठ का कें द्रीम विचाय ग्रहण कयना।
∙एकाग्रचचत हो एक अबीटि गतत के साथ भौन ऩठन कयना।
∙ऩदठत साभग्री ऩय अऩनी प्रततकक्रमा व्मतत कयना।
∙बाषा, विचाय एिॊ शैरी कीसयाहना कयना।
∙सादहत्म के प्रतत अमबूचच का विकास कयना।
∙ | सादहत्म की विमबन्न विधाओॊकी प्रकतत के अनसाय ऩठन कौशर का विकास। | |
ृ | ु | |
∙ | सॊदबाके अनसायु शब्दों के अथा–बेदोंकी ऩहचान कयना। |
∙सकक्रम (व्मिहायोऩमोगी) शब्द बॊडाय की िद्चधृ कयना।
∙ऩदठत साभग्री के विमबन्नअॊशोंका ऩयस्ऩय सॊफॊध सभझना।
∙ऩदठत अनच्छेदोंु के शीषाक एिॊ उऩशीषाक देना।
∙कविता के प्रभखु उऩादान मथा – तक,ु रम, मतत, गतत, फराघात आदद से ऩरयचचतकयाना।
ऱेिनकौिऱ
∙मरवऩ के भान्म ूऩ का ही व्मिहाय कयना।
∙वियाभ-चचह्नों का उऩमततु प्रमोग कयना।
∙प्रबािऩणाू बाषा तथा रेखन-शैरी का स्िाबाविक ूऩ से प्रमोग कयना।
∙उऩमततु अनच्छेदोंु भेंफाॉिकय मरखना।
∙प्राथाना ऩत्र, तनभॊत्रण ऩत्र, फधाई ऩत्र, सॊिेदना ईऩत्र,-भेर, आदेश ऩत्र, एस.एभ.एस आदद मरखना औय विविध प्रऩत्रों को बयना।
∙विविध स्रोतों से आिश्मक साभग्री एकत्र कय अबीटि विषम ऩय तनफॊध मरखना।
∙देखी हुई घिनाओॊका िणान कयना औय उन ऩय अऩनी प्रततकक्रमा देना।
∙दहन्दी की एक विधा सेदसयीू विधा भेंूऩाॊतयण का कौशर।
∙सभायोह औय गोष्टठमों की सचनाू औय प्रततिेदन तैमाय कयना।
∙साय, सॊऺेऩीकयण एिॊबािाथा मरखना।
∙गद्म एिॊऩद्म अितयणों की व्माख्मा मरखना।
∙स्िानबु तू विचायों औय बािनाओॊको स्ऩटि सहज औय प्रबािशारी ढॊग से अमबव्मतत कयना।
∙क्रभफद्धता औय प्रकयण की एकता फनाए यखना।
∙मरखने भें भौमरकता औय सजानात्भकता राना।

हहिंदीऩाठ्यक्रम – अ (कोड सिं-. 002)
कऺा 9व िंहहिंदीअ – ऩरीऺा हेतुऩाठ्यक्रम ववननदेिन 2019-20
ऩरीऺा भार ववभाजन | |||||||||||||||
ववषयवस्त | ु | उऩ भार | कऱ भार | ||||||||||||
ु | |||||||||||||||
1 | अऩदठत गद्माॊश ि काव्माॊश ऩय शीषाक का चनाि,ु | विषम-िस्तु का | |||||||||||||
फोध, अमबव्मष्तत आदद ऩय अतत रघत्तयात्भकू | एिॊ रघत्तयात्भकू | प्रश्न | |||||||||||||
अ | एक अऩदठत गद्माॊश (100 से 150 शब्दों के1×2=2)) ( (2×3=6) | 8 | 15 | ||||||||||||
फ | एक अऩदठत काव्माॊश(1×3=3) (2×2=4) | 7 | |||||||||||||
2 | व्माकयण के | मरए तनधाारयत विषमों ऩय विषम- स्तुका फोध, बावषक | |||||||||||||
त्रफॊदु/सॊयचना आदद ऩयप्रश्न (1×15) | |||||||||||||||
व्माकयण | |||||||||||||||
1 | शब्द तनभााण | 7 | |||||||||||||
उऩसगा– 2 अॊक, प्रत्मम– 2 अॊक, सभास– 3 अॊक | 15 | ||||||||||||||
2 | अथा की दृष्टि से िातम बेद–4 अॊक | 4 | |||||||||||||
3 | अरॊकाय– 4 अॊक | 4 | |||||||||||||
(शब्दारॊकाय:अनप्रास,ु मभक, श्रेष) (अथाारॊकाय: उऩभा, ूऩक, | |||||||||||||||
उत्प्रेऺा, अततशमोष्तत, भानिीकयण) | |||||||||||||||
3 | ऩाठ्मऩस्तक क्षऺततज बाग – 1 ि ऩयक ऩाठ्मऩस्तक कततका बाग -1 | ||||||||||||||
ु | ू | ु | ृ | ||||||||||||
अ | गद्म खॊड | 13 | |||||||||||||
1 | क्षऺततज | से तनधाारयत ऩाठों भें से | गद्माॊश के आ | 5 | |||||||||||
विषम-िस्तुका ऻान फोध, | अमबव्मष्तत आदद ऩय प्रश्न । | ||||||||||||||
(2+2+1) | |||||||||||||||
2 | क्षऺततज | से | तनधाारयत | गद्म | ऩाठों | के | आधाय | 8 | |||||||
विद्माचथामों की उच्च चचॊतनऺभताओॊएॊि अमबव्मष्तत | |||||||||||||||
का आकरन कयनेहेतुप्रश्न ।(2×4) (विकल्ऩ सदहत) | |||||||||||||||
फ | काव्म खॊड | 13 | 30 | ||||||||||||
1 | क्षऺततज से तनधाारयत कविताओॊ भें से काव्माॊश | 5 | |||||||||||||
ऩय प्रश्न | (2+2+1) | ||||||||||||||
2 | क्षऺततज से तनधाारयत कविताओॊ के | आधाय ऩय विद्मा | 8 | ||||||||||||
का काव्मफोध ऩयखनेहेतुप्रश्न। (2×4) (विकल्ऩ सदहत) | |||||||||||||||
स | ऩयक | ऩाठ्मऩस्तक कततका बाग – 1 | 4 | ||||||||||||
ू | ु | ृ | |||||||||||||
कततका | के तनधाारयत | ऩाठों ऩय | आधारयत | दो | प्रश्न ऩछे जाएॉगे | 4 | |||||||||
ृ | ू | ||||||||||||||
(विकल्ऩ सदहत)। (2×2) | |||||||||||||||
4 | रेखन | ||||||||||||||
अ | विमबन्न विषमों | औय | सॊदबोंऩय | विद्माचथामों | के तका सॊगत व | 10 | |||||||||
प्रकि कयनेकी | ऺभता को ऩयखनेके मरए | सॊकेत त्रफॊदओॊु ऩय | 20 |
आधारयत सभसाभतमक एिॊ व्मािहारयक जीिन सेजडेु हए विषमों | |||||||||
ु | |||||||||
भें से ककन्हीॊ विषमोंतीन ऩय 200 से 250 शब्दों भें ककसी | |||||||||
विषम ऩय तनफॊध।(10×1) | |||||||||
फ | अमबव्मष्तत की ऺभता ऩय | कें दद्रत औऩचारयक अथिा | 5 | ||||||
अनौऩचारयक विषमों भें से ककसी एक विषम ऩय ऩत्र।(5×1) | |||||||||
स | ककसी एक विषम ऩय सॊिाद रेखन।(5×1) (विकल्ऩ सदहत) | 5 | |||||||
कर | 80 | ||||||||
ु | |||||||||
नोि : ऩाठ्मक्रभ के तनम्नमरखखत ऩाठ के िर ऩढ़ने के | मरए होंगे | ||||||||
क्षऺततज(बाग – 1) | ∙ | उऩबोततािाद की सॊस्कतत | |||||||
ृ | |||||||||
∙ | एक कत्ता औय एक भैना | ||||||||
ु | |||||||||
∙ | साखखमाॉि सफद ऩाठ से सफद– 2 सॊतो बाई | ||||||||
आई.. | |||||||||
∙ | ग्राभ श्ी | ||||||||
कततका (बाग – 1) | ∙ | इस जर प्ररम भें | |||||||
ृ | ककस तयह आखखयकाय भैंदहॊदीभें आमा |