भाध्ममभक स्तय तक आते-आते विद्माथी ककशोय हो चुका होता हैऔय उसभें सनु ने, फोरने, ऩढ़ने, मरखने
के साथ-साथ आरोचनात्भक दृष्टि विकमसत होने रगती है। बाषा के सौंदमाात्भक ऩऺ,
कथात्भकता/गीतात्भकता, अखफायी सभझ, शब्द शष्ततमों की सभझ, याजनैततक एिॊ साभाष्जक चेतना का
विकास, स्िमॊ की अष्स्भता का सॊदबा औय आिश्मकता के अनसु ाय उऩमतुत बाषा- प्रमोग, शब्दों का
सचुचततत ॊ प्रमोग, बाषा की तनमभफद्ध प्रकृतत आदद से विद्माथी ऩरयचचत हो जाता है। इतना ही नहीॊ िह
विविध विधाओॊ औय अमबव्मष्तत की अनेक शैमरमों से बी ऩरयचचत हो चुका होता है। अफ विद्माथी की
दृष्टि आस-ऩडोस, याज्म-देश की सीभा को राॊघते हुए िष्ैश्िक क्षऺततज तक पै र जाती है। इन फच्चों की
दतुनमा भें सभाचाय, खेर, कपल्भ तथा अन्म कराओॊ के साथ-साथ ऩत्र-ऩत्रत्रकाएॉ औय अरग-अरग तयह की
ककताफें बी प्रिेश ऩा चकु ी होती हैं।
इस स्तय ऩय भातबृ ाषा दहदॊ ी का अध्ममन सादहष्त्मक, साॊस्कृततक औय व्मािहारयक बाषा के रूऩ भें कुछ
इस तयह से हो कक उच्चतय भाध्ममभक स्तय ऩय ऩहुॉचत-ेऩहुॉचते मह विद्माचथमा ों की ऩहचान, आत्भविश्िास
औय विभशा की बाषा फन सके। प्रमास मह बी होगा कक विद्माथी बाषा के मरखखत प्रमोग के साथ-साथ
सहज औय स्िाबाविक भौखखक अमबव्मष्तत भें बी सऺभ हो सके ।
इस ऩाठ्यक्रम के अध्ययन से-
(क) विद्माथी अगरे स्तयों ऩय अऩनी रूचच औय आिश्मकता के अनरूु ऩ दहदॊ ी की ऩढ़ाई कय सकेंगे
तथा दहॊदी भें फोरने औय मरखने भें सऺभ हो सकें गे।
(ख) अऩनी बाषा दऺता के चरते उच्चतय भाध्ममभक स्तय ऩय विऻान, सभाज विऻान औय अन्म
ऩाठ्मक्रभों के साथ सहज सॊफद्धता (अॊतसंफॊध) स्थावऩत कय सकें गे।
(ग) दैतनक जीिन व्मिहाय के विविध ऺेत्रों भें दहन्दी के औऩचारयक/अनौऩचारयक उऩमोग की दऺता
हामसर कय सकें गे।
(घ) बाषा प्रमोग के ऩयॊऩयागत तौय-तयीकों एिॊ विधाओॊ की जानकायी एिॊ उनके सभसाभतमक सॊदबों की
सभझ विकमसत कय सकें गे।
(ड.) दहॊदी बाषा भें दऺता का इस्तेभार िे अन्म बाषा-सॊयचनाओॊ की सभझ विकमसत कयने के मरए
कय सकें गे।
कऺा 9व िं व 10व िं मेंमातभृ ाषा के रूऩ में हहदिं ी-शिऺण के उद्देश्य :
कऺा आठिीॊ तक अष्जात बावषक कौशरों (सनु ना, फोरना, ऩढ़ना औय मरखना) का उत्तयोत्तय
विकास।
सजृ नात्भक सादहत्म के आरोचनात्भक आस्िाद की ऺभता का विकास।
स्ितॊत्र औय भौखखक रूऩ से अऩने विचायों की अमबव्मष्तत का विकास।
ऻान के विमबन्न अनशु ासनों के विभशा की बाषा के रूऩ भें दहदॊ ी की विमशटि प्रकृतत एिॊ ऺभता
का फोध कयाना।
सादहत्म की प्रबािकायी ऺभता का उऩमोग कयते हुए सबी प्रकाय की विविधताओॊ (याटरीमता, धभा,
मर ॊग एिॊ बाषा) के प्रतत सकायात्भक औय सॊिेदनशीर यिैमे का विकास।
जातत, धभा, मर ॊग, याटरीमता, ऺेत्र आदद से सॊफॊचधत ऩिू ााग्रहों के चरते फनी रूदढ़मों की बावषक
अमबव्मष्ततमों के प्रतत सजगता।
बायतीम बाषाओॊ एिॊ विदेशी बाषाओॊ की सस्ॊ कृततक विविधता से ऩरयचम।
व्मािहारयक औय दैतनक जीिन भें विविध अमबव्मष्ततमों की भौखखक ि मरखखत ऺभता का
विकास।
सॊचाय भाध्मभों (वप्र ॊि औय इरेतरॉतनक) भें प्रमतुत दहदॊ ी की प्रकृतत से अिगत कयाना औय निीन
बाषा प्रमोग कयने की ऺभता से ऩरयचम।
विश्रेषण औय तका ऺभता का विकास।
बािमबव्मष्तत ऺभताओॊ का उत्तयोत्तय विकास।
भतबेद, वियोध औय िकयाि की ऩरयष्स्थततमों भें बी बाषा को सिॊ ेदनशीर औय तकाऩणू ा इस्तभे ार
से शाॊततऩणू ा सिॊ ाद की ऺभता का विकास।
बाषा की सभािेशी औय फहुबावषक प्रकृतत की सभझ का विकास कयना।
शिऺण यक्ुततयााँ
भाध्ममभक कऺाओॊ भें अध्माऩक की बमूभका उचचत िाताियण के तनभााण भें सहामक होनी चादहए। बाषा
औय सादहत्म की ऩढ़ाई भें इस फात ऩय ध्मान देने की जरूयत होगी कक –
विद्माथी द्िाया की जा यही गरततमों को बाषा के विकास के अतनिामा चयण के रूऩ भें स्िीकाय
ककमा जाना चादहए ष्जससे विद्माथी अफाध रूऩ से त्रफना खझझक के मरखखत औय भौखखक
अमबव्मष्तत कयने भें उत्साह का अनबु ि कयें। विद्माचथमा ों ऩय शद्ुचध का ऐसा दफाि नहीॊ होना
चादहए कक िे तनािग्रस्त भाहौर भें ऩड जाएॉ। उन्हें बाषा के सहज, कायगय औय यचनात्भक रूऩों
से इस तयह ऩरयचचत कयाना उचचत है कक िे स्िमॊ सहजरूऩ से बाषा का सजृ न कय सकें।
विद्माथी स्ितॊत्र औय अफाध रूऩ से मरखखत औय भौखखक अमबव्मष्तत कये। अचधगभ फाचधत होने
ऩय अध्माऩक, अध्माऩन शैरी भें ऩरयितान कयें।
ऐसे मशऺण-त्रफदॊ ओु ॊ की ऩहचान की जाए ष्जससे कऺा भें विद्माथी तनयॊतय सकक्रम बागीदायी कयें
औय अध्माऩक बी इस प्रककमा भें उनका साथी फने।
हय बाषा का अऩना व्माकयण होता है। बाषा की इस प्रकृतत की ऩहचान कयाने भें ऩरयिेशगत औय
ऩाठगत सॊदबों का ही प्रमोग कयना चादहए। मह ऩयूी प्रकक्रमा ऐसी होनी चादहए कक विद्माथी स्िमॊ
को शोधकताा सभझे तथा अध्माऩक इसभें केिर तनदेशन कयें।
दहॊदी भें ऺेत्रीम प्रमोगों, अन्म बाषाओॊ के प्रमोगों के उदाहयण से मह फात स्ऩटि की जा सकती है
कक बाषा अरगाि भें नहीॊ फनती औय उसका ऩरयिेश अतनिामा रूऩ से फहुबावषक होता है।
मबन्न ऺभता िारे विद्माचथामों के मरए उऩमतुत मशऺण-साभग्री का इस्तेभार ककमा जाए तथा
ककसी बी प्रकाय से उन्हें अन्म विद्माचथामों से कभतय मा अरग न सभझा जाए।
कऺा भें अध्माऩक को हय प्रकाय की विविधताओॊ (मर ॊग, जातत, िगा, धभा आदद) के प्रतत
सकायात्भक औय सॊिेदनशीर िाताियण तनमभात कयना चादहए।
काव्म बाषा के भभा से विद्माथी का ऩरयचम कयाने के मरए जरूयी होगा कक ककताफों भें आए
काव्माॊशों की रमफद्ध प्रस्ततुतमों के ऑडडमो-िीडडमो कै सेि तैमाय ककए जाएॉ। अगय आसानी से
कोई गामक/गातमका मभरे तो कऺा भें भध्मकारीन सादहत्म के अध्माऩन-मशऺण भें उससे भदद
री जानी चादहए।
या.शै.अ. औय प्र. ऩ., (एन.सी.ई.आय.िी.) भानि सॊसाधन विकास भॊत्रारम के विमबन्न सॊगठनों
तथा स्ितॊत्र तनभााताओॊ द्िाया उऩरब्ध कयाए गए कामाक्रभ/ ई-साभग्री ित्तृ चचत्रों औय पीचय कपल्भों
को मशऺण-साभग्री के तौय ऩय इस्तेभार कयने की जरूयत है। इनके प्रदशान के क्रभ भें इन ऩय
रगाताय फातचीत के जरयए मसनेभा के भाध्मभ से बाषा के प्रमोग कक विमशटिता की ऩहचान
कयाई जा सकती है औय दहॊदी की अरग-अरग छिा ददखाई जा सकती है।
कऺा भें मसपा ऩाठ्मऩस्ुतक की उऩष्स्थतत से फेहतय होगा कक मशऺक के हाथ भें तयह-तयह की
ऩाठ्मसाभग्री को विद्माथी देखें औय कऺा भें अरग-अरग भौकों ऩय मशऺक उनका इस्तेभार कयें।
बाषा रगाताय ग्रहण कयने की कक्रमा भें फनती है, इसे प्रदमशात कयने का एक तयीका मह बी है
कक मशऺक खदु मह मसखा सकें कक िे बी शब्दकोश, सादहत्मकोश, सॊदबाग्रॊथ की रगाताय भदद रे
यहे हैं। इससे विद्माचथामों भें इनके इस्तेभार कयने को रेकय तत्ऩयता फढ़ेगी। अनभु ान के आधाय
ऩय तनकितभ अथा तक ऩहुॉचकय सतॊ टुि होने की जगह िे सिीक अथा की खोज कयने के मरए
प्रेरयत होंगे। इससे शब्दों की अरग-अरग यॊगत का ऩता चरेगा, िे शब्दों के सक्ष्ूभ अॊतय के प्रतत
औय सजग हो ऩाएॉगे।
हहिंदीऩाठ्यक्रम -अ | (कोड सिं002). | | | | | |
| | | | कऺा 10व िंहहिंदी- अ ऩरीऺा हेतुऩाठ्यक्रम ववननदेिन 2019-20 | | |
| | | | | | | | | | | | | |
| | | | | | ऩरीऺा भार ववभाजन | | | | | | | |
| | | | | | ववषयवस्त | ु | | | | | | | | | उऩ भार | कऱभार |
| | | | | | | | | | | | | | | | | | ु |
1 | अऩदठत गद्माॊश ि काव्माॊश ऩय शीषाक का चनाि,ु | विषम-िस्तुका फोध, | | | |
| अमबव्मष्तत आदद ऩय अतत रघत्तयात्भकू | एिॊरघत्तयात्भकू | प्रश्न | | | | | | 15 |
| अ | एक अऩदठत गद्माॊश (100 से 150 शब्दों के1×2=2)( | (2×3=6) | | 8 |
| फ | एक अऩदठत काव्माॊश 1×3=3)( | (2×2=4) | | | | | | | | 7 | |
2 | व्माकयण | के मरए तनधाारयतविषमों ऩय | विषम-िस्तुका | फोध, | बावषक त्रफॊदु | | | |
| /सॊयचना आदद ऩयप्रश्न (1×15) | | | | | | | | | | | | | |
| व्माकयण | | | | | | | | | | | | | | | | |
| 1 | यचना के | आधाय ऩय िातम बेद (3 अॊक) | | | | | | | | 3 | 15 |
| 2 | िाच्म (4 अॊक) | | | | | | | | | | | | | 4 | |
| 3 | ऩद ऩरयचम (4 अॊक) | | | | | | | | | | | | 4 | |
| 4 | यस (4 अॊक) | | | | | | | | | | | | | 4 | |
3 | ऩाठ्मऩस्तक क्षऺततज बाग – 2 ि ऩयक ऩाठ्मऩस्तक कततका बाग – | 2 | | | |
| | ु | | | ू | | | | ु | | ृ | | | | | | | |
| अ | गद्म खॊड | | | | | | | | | | | | | 13 | |
| | 1 | | क्षऺततज से | तनधाारयत ऩाठों | भें | से | गद्माॊश | के | आधाय -ऩ | | 5 | |
| | | | िस्तुका ऻान फोध, अमबव्मष्तत आदद ऩय प्रश्न । (2+2+1) | | | |
| | 2 | | क्षऺततज से | तनधाारयत गद्म | ऩाठों | के | आधाय ऩय | विद्माचथामो | | 8 | |
| | | | उच्च | चचॊतन | ऺभताओॊएिॊ अमबव्मष्तत | का | आकरन | कयने हेतु | | | |
| | | | प्रश्न। | (2×4) (विकल्ऩ सदहत) | | | | | | | | | | | | |
| फ | | | काव्म खॊड | | | | | | | | | | | | | 13 | 30 |
| | 1 | | क्षऺततज से तनधाारयत कविताओॊ भें से काव्माॊश के आधा | | 5 |
| | | | (2+2+1) (विकल्ऩ सदहत) | | | | | | | | | | | | | |
| | 2 | | क्षऺततज से | तनधाारयत कविताओॊ | के | | आधाय ऩय | विद्माचथा | | 8 | |
| | | | काव्मफोध ऩयखनेहेतुप्रश्न । (2×4) (विकल्ऩ सदहत) | | | | | | |
| स | ऩयक ऩाठ्मऩस्तक कततका बाग – 2 | | | | | | | | | | | |
| | ू | | ु | ृ | | | | | | | | | | | | | |
| | कततका के तनधाारयत ऩाठों ऩय | आधारयत | दो प्रश्न ऩछेजाएॉगे(विकल्ऩ | | 4 | |
| | ृ | | | | | | | | | | ू | | | | | | |
| | सदहत)। (2×2) | | | | | | | | | | | | | | |
4 | रेखन | | | | | | | | | | | | | | | | | |
| अ | विमबन्न विषमों औय सॊदबो ऩय विद्माचथामों के | तका सॊगत विचाय | | 10 | |
| | कयने की | ऺभता | को ऩयखने के मरए | सॊकेत | त्रफॊदओॊु | ऩय | आधारयत | | | |
| | सभसाभतमक एिॊव्मािहारयक जीिन सेजडेु हए तीन विषमों ऩय 200 | | | 20 |
| | | | | | | | | | | ु | | | | | | | | |
| | से 250 शब्दों भेंसेककसी एक विषम ऩय तनफॊध।(10×1) | | | | | |
| फ | अमबव्मष्तत की | ऺभता ऩय के ष्न्द्रत औऩचारयक | अथिा | अनौऩचारयक | | 5 | |
| | | विषमों भें से ककसी एक विषम ऩय ऩत्र।(5×1) | | | |
| | स | विषम से | सॊफॊचधत-5025 शब्दों के अॊतगात विऻाऩन रेखन।(5×1) | 5 | | |
| | | (विकल्ऩ सदहत) | | | | | |
| | | | | | | कऱ | | 80 | |
| | | | | | | ु | | | |
नोि : ऩाठ्मक्रभ के तनम्नमरखखत ऩाठ के िर ऩढ़ने के | मरए होंगे | | | |
| | | | | | | | |
| क्षऺततज(बाग – 2) | | ∙ | देि | | | | |
| | | | | ∙ | जमशॊकय प्रसाद- आत्भकथ्म | | | |
| | | | | ∙ | स्त्री मशऺा के | वियोधीकतकों का खॊडन | | | |
| | | | | | सॊस्कतत | ु | | | |
| | | | | ∙ | | | | |
| | | | | | ृ | | | | |
| कततका (बाग -2) | | ∙ | एही ठैमाॉझरनी हेयानी हो याभा! | | | |
| | ृ | | | ु | | | | |
| | | | | ∙ | भैंतमों मरखता हॉ? | | | |
| | | | | | | ू | | | |
| | | | प्रश्नऩत्र | का | प्रश्नानसारु ववश्ऱेषण एविंप्रारूऩ | | | | |
| | | | | | | | | | हहिंदी ऩाठ्यक्रम–अ | | | | |
ननधााररत समयावधध : 3 घिंिे | | | | | कऺा – 9व िंएविं10व िं | | अधधकतम अिंक: 80 |
| | | | | | | | | |
क्र. | प्रश्नों का | दऺता ऩरीऺण/ | | अधधगम | अनत- | ऱघत्तरात्मकू | | नन िंधात्मक | नन िंधात्मक | कऱ |
| | | | | | | | | | | ऱघत्तरात्मकू | 2 अिंक | | -I | | -II | ु |
सिं. | प्रारूऩ | ऩररणाम | | | | | | | | | | योग |
| | | | | | | | | | | 1 अिंक | | | 5 अिंक | | 10 अिंक | |
क | अऩदठत | अिधायणात्भक | फोध, | | अथाग्रहण, | 05 | 05 | | | | | 15 |
| फोध | अनभानु | रगाना, | ि | विश्रेषण | | | | | | | |
| | कयना, | शब्दऻान | बावषक | | | | | | | |
| | कौशर | | | | | | | | | | | | | | | |
ख | व्मािहारय | व्माकयखणक | सॊयचनाओॊ का फो | 15 | | | | | | 15 |
| क | औय | प्रमोग, | | विश्रेषण | एि | | | | | | | |
| व्माकयण | बावषक कौशर | | | | | | | | | | | | | |
| | | | | | | | | | | | | | | | |
ग | ऩाठ्म | प्रत्मास्भयण, | | | | | अथाग्रहण | 02 | 14 | | | | | 30 |
| ऩस्तकु | (बािग्रहण) | रेखक | के भनोबा | | | | | | | |
| | को | सभझना, | | शब्दों | का | | | | | | | |
| | प्रसॊगानकुूर | अथा | | | सभझना, | | | | | | | |
| | आरोचनात्भक | | | | | चचॊतन, | | | | | | | |
| | ताकका कता, | सयाहना, | | सादहष्त्मक | | | | | | | |
| | ऩयॊऩयाओॊ | के | | ऩरयप्रेक्ष्म | | | | | | | |
| | भल्माॊकन,ू | | | | | विश्रेषण, | | | | | | | |
| | सजनात्भकता, | | कल्ऩनाशीरता, | | | | | | | |
| | ृ | | | | | | | | | | | | | | | |
| | कामा-कायण सॊफॊध स्थावऩ | | | | | | | |
| | कयना, साम्मता एिॊ अॊतयों क | | | | | | | |
| | ऩहचान, | अमबव्मष्तत | भे | | | | | | | |
| | भौमरकता एिॊजीिन भल्मोंू की | | | | | | | |
| | ऩहचान। | | | | | | | | | | | | | | |
घ | यचनात्भ | सॊकेत | त्रफॊदओॊु | का | | | विस्ताय, | | | | 02 | | 01 | 20 |
| क रेखन | अऩने | भत | की | अमबव्मष्तत, | | | | | | | |
| (रेखन | सोदाहयण | सभझाना, | | औचचत्म | | | | | | | |
| तनधाायण, | बाषा | भें | प्रिाहभम | | | | | | | |
| कौशर) | | | | | | | |
| सिीक | शैरी, | उचचत | | प्राूऩ का | | | | | | | |
| | प्रमोग, | | अमबव्मष्तत | की | | | | | | | |
| | भौमरकता, | सजनात्भकता | एिॊ | | | | | | | |
| | ताकका कता | ृ | | | | | | | | | | | | |
| | | | | | | | | | | | | | | |
| | कर | | | | | | | | | 1×22 | 2×19 | | 5×2 | | 10×1 | 80 |
| | ु | | | | | | | | | =22 | =38 | | =10 | | =10 | |
| | | | | | | | | | | | | |